मन: शक्ति योगा Divya sravan sakti

                                मन: शक्ति योगा





         दूसरों के मन की बात जानने की उत्सुकता प्रत्येक व्यक्ति में होती है। मनोवैज्ञानिक सहित बहुत से लोग बहुत हद तक चेहरे के भावों को पढ़कर दूसरों के मन की बात जान लेते हैं अर्थात वे मनोभाव को जानने में माहिर होते हैं, लेकिन आपके मन में क्या चल रहा है इसे शब्दश: जानकर बता देना आश्चर्य ही है। योग से यह आश्चर्य प्राप्त किया जा सकता है। आप सोचे और हम बता दें कि आपने क्या सोचा तो आप आश्चर्य नहीं करेंगे?

             योग के विभूतिपाद में अ‍ष्टसिद्धि के अलावा अन्य अनेकों प्रकार की सिद्धियों का वर्णन मिलता है। उनमें से ही एक है मन: शक्ति योगा। इस योग की साधना करने से व्यक्ति दूसरों के मन की बात शब्दश: जान सकता है और यह बहुत ही सरल साधना है, लेकिन उन लोगों के लिए कठिन हैं जो अपने मन का अस्त-व्यस्त उपयोग करते हैं।

कैसे होगा यह संभव : 



         ज्ञान की स्थिति में संयम होने पर दूसरे के चित्त का ज्ञान होता है। यदि चित्त शांत है तो दूसरे के मन का हाल जानने की शक्ति हासिल हो जाएगी। चित्त शांत होता है चित्त की दिशा और दशा को जानने व समझने से। दशा और दिशा जानी जाती है ध्यान द्वारा होशपूर्ण जीने से।

         सीधा-सरल-सा सूत्र है कि जब तक आप बोलते हैं सामने वाला सुनता है। आप बोलना बंद करते हैं तभी सामने वाला जो बोल रहा है उसे आप सुन पाते हैं और समझ पाते हैं। यदि दोनों ही लगातार बोलते रहें तो दोनों को कुछ भी समझ में नहीं आएगा।

         ठीक इसी तरह यदि आपका मन चुप है तभी आपको दूसरे का मन सुनाई देने लगेगा। मन का चुप होने का मतलब की आप विचार और कल्पनाओं से बाहर निकलकर पूर्णत: शांत हैं। इसे ही चित्त का शांत होना कहते हैं। कहते हैं कि इस मन: शक्ति योग के बल पर योगी चिंटियों के पैरों में बंधें घुंघरू की आवाज भी सुन सकता है तो आपके मन में तो दुनिया भर का शोर मचा हुआ है।

      खैर यदि अभ्यास द्वारा दूसरों के मन की बात जानने में आप सक्षम नहीं भी हो पाएं तो चित्त तो शांत हो ही जाएगा और शांत चिंत से सभी तरह के रोग और शोक मिट जाते हैं। सेहत के लिए यह लाभदायक है।


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