मन शक्ति साधना MANAH SHAKTI SADHNA

                                                       


मन शक्ति साधना
MANAH SHAKTI SADHNA





                   मन के बारे मे जितना भी लिखा जाए कम है. योग तांत्रिक साधना मे मन का अपना विशेष स्थान है. किसी भी प्रकार की भावभूमि से लेकर किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का मुख्य आधार कही न कही मन ही होता है. सदगुरुदेव हमेशा कहते थे की जिसने मन ह्रदय तथा चित को जित लिया वह व्यक्ति साधना जगत मे अजेय है. मन के भी प्रकार होते है जिसको आज विज्ञान भी स्वीकार करता है. जागृत मन, अर्धजागृत मन, तथा सूक्ष्म मन इत्यादि. मन सतत गतिशील रहता है तथा इसकी गति पर मनुष्य का काबू बहोत ही अल्प मात्रा मे होता है. मन की शक्तियां अनंत है क्यों की यह अनंत ब्रम्हांड से जुड़ा हुआ होता है. जैसे की एक अश्व मे अत्यधिक बल और गति होती है, लेकिन जब तक उसे काबू नहीं किया जाता तब तक वह शक्ति का योग्य उपयोग नहीं किया जा सकता है. मन को गति प्रदान करने वाली जो शक्ति है वही मनःशक्ति कही जाती है. अगर साधना के माध्यम से व्यक्ति मनःशक्ति पर अपना काबू कर ले तो उसके कई लाभ साधक को प्राप्त हो सकते है. यु साधक के लिए तो इस प्रकार की साधना बहोत ही महत्व रखती है, जिससे की साधक आध्यत्म भूमि की वो बारीकियों को आत्मसार कर सकता है जिससे वह साधना मे पूर्ण सफलता प्राप्त कर सकता है.
·        एकाग्रता का विकास
·        अन्तश्चेतना का विकास
·        विचारों पर आधिपत्य
·        चेतना का अनुसरण
·        समर्पण भाव का ज्ञान
आदि सभी प्रक्रियात्मक लाभ व्यक्ति मनःशक्ति की साधना से प्राप्त कर सकता है. इस प्रकार एक साधक के लिए एसी साधना का बहोत महत्व है. वैसे तंत्र ग्रंथो मे मनःशक्ति से सबंधित साधनाए अल्प ही देखि जाती है. लेकिन सदगुरुदेव ने जिन गुप्त साधना रत्नों को दिया है, उनमे से मनःशक्ति से सबंधित एक रत्न आप सब के मध्य रख रहा हू.
इस साधना को साधक गुरुवार को सुबह या शाम के समय शुरू करे. साधक सफ़ेद वस्त्र, सफ़ेद आसन उपयोग मे ले. दिशा उत्तर या पूर्व रहे तथा मंत्र जाप के लिए माला स्फटिक की हो. साधक गुरु पूजन सम्प्पन कर निम्न मंत्र की १६ माला जाप करे

" ओम निं गुरुभ्यो नमः "

इसके बाद साधक ४ माला गुरु मंत्र की करे-

" ओम परम्तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः "

इसके बाद साधक ५ माला निम्न मंत्र की करे

!!  ओम अष्टात्मने हूं हूं हूं  !!

और फिर गुरुमंत्र की एक माला जाप करे. इसके बाद साधक मन्त्र जाप सदगुरुचरण मे समर्पित करे. इस प्रकार साधक को अगले गुरूवार तक करना चाहिए. साधक खुद ही अनुभव करेगा की साधक के मन मे कितना परिवर्तन आया है.  MANAH SHAKTI SADHNA
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