ranjani apsara sadhana



      जीवन में कोई भी व्यक्ति हमेशा खुश रहना चाहता है , खुश रहने के लिए व्यक्ति क्या नहीं करता है , वहीँ प्रेम सबसे अधिक ख़ुशी देता है  जब कोई व्यक्ति किसी से प्रेम करने लगता है तो वह उसे देखने के लिए तरसता है , तो कहीं उससे मोबाइल पर बात करने के लिए तडपता है , हर वक्त उसके खयालों में खोया रहता है , और यही सभी इन्सान को ख़ुशी प्रदान करता है ,  कभी कभी देखने को मिलता है की वही प्रेम उसके लिए दुःख का कारण बन जाता है , व्यक्ति जिससे प्रेम करता है वही धोखा दे देता है , और फिर ख़ुशी छीन जाती है , ये सब देखकर बड़ा दुःख होता है ,
लेकिन उससे ज्यादा ख़ुशी देने वाली, उससे भी अधिक प्रेम करने वाली साधना होती है उसका नाम है अप्सरा साधना ! जिसके प्रेम की व्याख्या करना भी कठिन है, अप्सरा साधना बहुत ही आसान साधना होती है , जो की पहेली बार में ही सिद्ध हो जाती है हो सकता है किसी कारण वश प्रत्यक्ष्य न हो पाए मगर सिद्ध अवश्य हो जाती है .
आज हम जिस अप्सरा की बात कर रहे है उसका नाम है रंजनी अप्सरा !  इसका रंग रूप योवन अत्यंत मनमोहक होता है , जिसे देखने मात्र से ही साधक तो क्या भगवान भी मुग्द हो जाते है देखते के देखेत ही रह जाते है . इन्द्र लोक की सबसे अधिक मनमोहक अप्सरा है तो वह रंजनी अप्सरा ही है .
जब हम इस पर रिसर्च कर रहे थे तो परम पूजनीय गुरु देव प्रवीनाचार्य जी ने कहा की  " हे छविराज ! यह साधना बहुत ही सरल तो है मगर मनमोहक होने के कारण किन्ही 100 साधक बंधुओ का जो चयन करना है उसे सोंच समझकर कर करना " यह कहकर वह अपने कार्य में जुट गए और में सोंचकर दंग रह गया की गुरु देव ने आज एसा क्यूँ कह दिया , में तो हमेशा  अच्छे साधको का ही चयन करता हूँ,  लेकिन मेने गुरु देव से पुचा की ' गुरु देव ! कोई गलती कर रहा हूँ तो माफ़ी चाहता हूँ मगर ये जानना चाहता हूँ की आपने कल जो वाक्य बोला था वह क्यूँ कहा था प्रभु ' गुरु देव ने मुझे हस कर कहा " छवि यह साधना बहुत ही सरल है मगर साधक अगर मनमोहक रूप को देखकर भटक गया , वचन नहीं मांग पाया तो साधना कभी सफल नहीं हो पायेगी  यही करण है की साधना  में सफलता के लिए उच्छ कोटि के साधक होना अनिवार्य है "  उनके आदेश का पालन करते हुए मेने 100 साधको को का चयन किया और रिसर्च चालू कर दी . हमने इस साधना में सफलता पहेली बार में ही प्राप्त कर ली थी किसी साधक को 7 दिन लग गए तो किसी को 10 दिन लेकिन लगभग 70% साधको ने सफलता प्राप्त की बाकि साधको ने वचन लेना भूल गए तो ,तो कोई हडबडाहट में कुछ और मांग लिया इस प्रकार 90% से अधिक साधको ने सफलता प्राप्त की . यह पहेली बार एसा हो रहा था की 90% साधक सफल हो चुके थे . गुरु देव के आदेश ने हमें सफलता की एसी रह दिखाई की हम 1 के बाद 1 साधना सफल करते गए और आज भी रिसर्च जारी है .
कई साधको ने इसमें सफलता हाशिल की है आप भी इस साधना का लाभ ले सकते है और प्रेम को समझना चाहते है तो जीवन में 1 बार अवश्य सिद्ध करके देखे .क्योंकि ये कभी धोका नहीं देती है

साधना विधि : 

समय : शायं 06:00 से 09:00 
सामग्री : हल्का हरे रंग का कपडा , रंजनी अप्सरा माला (रति वैजन्ती माला ) , अप्सरा यन्त्र , अप्सरा वशीकरण यन्त्र , केवड़े का इत्र , और हीना इत्र .
माला संख्या : 11 माला रोज़ 
साधना अवधि : पांच दिन 
दिन : शुक्रवार या मोहनी एकादशी 
यह साधना साधक को सूरज ढलने के बाद प्रथम पहर में ही सिद्ध की जाती है ,  किसी भी बजोट पर हल्का हरे रंग का कपडा बिछाकर उस पर हीना इत्र का छिडकाव करे , इस साधना में कोई भी वस्त्र धारण किये जा सकते है इसके बाद आपको पुरे कमरे में केवड़े के इत्र का छिडकाव कर सजा देना चाहिए उसके बाद उत्तर या पूर्व की ओर  मुख करके पंचोपचार पूजन करे ,और फिर  11 माला दिए गए मंत्र की जप करना चाहिए .

मंत्र 

!!  ॐ   ऐ  रंजनी मम प्रियाय वश्य आज्ञा पालय फट !! 

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