akasmik dhan prapti sadhna

                                     Akasmikdhan prapti

जीवन में धन की आवश्यकता को कौन नकार सकता है, आज के युग में किसी भी क्षेत्र की सफलता का आधार धन ही तो है. एक व्यक्ति के जीवन में वह आध्यात्मिक तथा भौतिक उन्नति के लिए ही तो हमेशा कार्य करता रहता है. पढ़ाई तथा विविध कार्यमें निपूर्ण बनने में व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक श्रम कर जीवन के बहुमूल्य दिन और बहुमूल्य समय को व्यय करता है, या फिर विविध कार्यों से अनुभव एकत्रित करता है. और यह सब वह करता है एक सुखी भविष्य के लिए जिसमे उसे पूर्ण सुख की प्राप्ति हो सके, पूर्ण भोग की प्राप्ति हो सके तथा समाज में एक आदर्श व्यक्ति बन पूर्ण मान सन्मान को अर्जित कर सके. लेकिन इन सब के मूल में क्या धन नहीं है? धन की अनिवार्यता को निर्विवादित रूप से आज के युग में स्वीकार करना ही पड़ता है. चाहे वह समृद्धि हो, विविध वास्तुओ का उपभोग हो या फिर उच्चतम शिक्षा को अर्जित करना हो. इन सब का आधार धन ही तो है. लेकिन कई बार भाग्य से वंचित व्यक्ति के ऊपर कुदरत अपनी महेरबानी नहीं दिखाती. और एसी स्थिति में व्यक्तिको अपने कई कई स्वप्नों का त्याग करना पड़ता है तथा कई प्रकार के सुख भोग से वंचित रहना पड़ता है. जीवन के इन्ही बोजिल क्षणों में उसका आत्मबल धीरे धीरे क्षीण होने लगता है तथा भविष्य में भी वह अपनी स्थिति को स्वीकार कर जीवन को इसी प्रकार बोज पूर्ण रूप से आगे बढाने लगता है. यह किसी भी प्रकार से श्रेयकर स्थिति तो नहीं है. खास कर जब हमारे पास साधनाओ का बल हो, हमारे पूर्वजो का आशीर्वाद उनके ज्ञान के रूप में हमारे चारों तरफ साधना विज्ञान बन कर बिखरा हुआ हो.
तंत्र साधनाओ में एक से एक विलक्षण प्रयोग धन की प्राप्ति में साधक को सहायता प्रदान करने के लिए है जिसके माध्यम से साधक के सामने नए नए धन के स्त्रोत खुलने लगते है, रुके हुवे धन को प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होता है तथा नाना प्रकार से उसको धन की प्राप्ति हो सकती है, और फिर अगर यह सब अचानक या आकस्मिक रूप से हो तो उसकी तो बात ही क्या. ऐसे ही दुर्लभ आकस्मिक धन प्राप्ति के प्रयोग में से एक प्रयोग है स्वर्णमाला प्रयोग. जिसमे पारद के संयोग से तीव्र आकर्षण के वशीभूत हो कर इस देव योनी को साधक की सहायता करने के लिए बाध्य होना पड़ता है, लेकिन विवशता पूर्ण नहीं, प्रशन्नता पूर्वक ही तो. क्यों की जहां तांत्रिक प्रक्रिया के साथ साथ विशुद्ध पारद के चैतन्यता का संयोग होता है, वहाँ तो साधक की तरफ देव योनी का भी आकर्षित होना स्वाभाविक ही है. प्रस्तुत प्रयोग ऐसा ही एक गुढ़ विधान है, जिसे पूर्ण मनोयोग के साथ सम्प्पन करने पर साधक को उपरोक्त लाभों की प्राप्ति होती है तथा शीघ्र ही धन सबंधी समस्याओ का निराकरण प्राप्त होता है.
यह प्रयोग साधक किसी भी पूर्णिमा की रात्री में कर सकता है.
साधक यह प्रयोग किसी वटवृक्ष के निचे करे
साधक रात्री में १० बजे के बाद स्नान आदि से निवृत हो कर किसी भी सुसज्जित वस्त्रों को धारण करे तथा वटवृक्ष के निचे पीले आसन पर बैठ जाए. साधक को उत्तर दिशा की तरफ मुख कर बैठना चाहिए.
साधक को इस प्रयोग में सुगन्धित अगरबत्ती लगानी चाहिए, अपने वस्त्रों पर भी इत्र लगाना चाहिए. साधक को कोई मिठाई का भोग अपने पास रख सकता है. इसके अलावा साधक को खाने वाला पान जिसमे कत्था सुपारी तथा इलाइची डाली हुई हो उसको भी समर्पित कर सकता है.
सर्व प्रथम साधक गुरुपूजन तथा गुरुमन्त्र का जाप करे. उसके बाद साधक विशुद्ध पारद से निर्मित यक्षिणी गुटिका को अपने सामने किसी पात्र में स्थापित करे तथा उसका पूजन करे. यक्षिणी गुटिका की अनुपलब्धि में साधक सौंदर्य कंकण पर भी यह प्रयोग कर सकता है. पूजन के बाद साधक देवी स्वर्णमाला को वंदन करे तथा आकस्मिक धन प्राप्ति के लिए सहाय करने के लिए विनंती करे. इसके बाद साधक यथा संभव मृत्युंजय मन्त्र का जाप करे.
इसके बाद साधक स्फटिकमाला से या रुद्राक्ष माला से निम्न मन्त्र की २१ माला मन्त्र जाप करे.

ॐ श्रीं श्रीं स्वर्णमाले द्रव्यसिद्धिं हूं हूं ठः ठः

 (om shreem shreem swarnamaale dravyasiddhim hoom hoom thah thah)

मन्त्र जाप पूर्ण होने पर साधक स्वर्णमाला यक्षिणी को वंदन करे तथा मिठाई/पान स्वयं ग्रहण करे. माला का विसर्जन साधक को नहीं करना है साधक इस माला का भविष्य में भी इस प्रयोग हेतु उपयोग कर सकता है.


yakshani



पारद पर आज हमारे मध्य इतने  लेख और पोस्ट  आ चुके हैं की अब   कोई भी इस धातु  को जो की जीवित जाग्रत तरल हैं उसके  दिव्य  गुणों  के प्रति अनिभिज्ञता  नही रख सकता  हैं, हमने अपने इस ब्लॉग और तंत्र कौमुदी  के माध्यम से  साथ ही साथ फेसबुक के  ग्रुप के माध्यम से इस  पर अत्यंत सरल भाषा मे अनेको पोस्ट  प्रकाशित की हैं .हलाकि यह सारा कार्य  सदगुरुदेव जी ने अपनी पत्रिका मंत्र तंत्र यंत्र विज्ञानं  के माध्यम से बहुत वर्षों पहले प्रारंभ कर चुके हैं.उन्होंने स्वयं न केबल लेख लिख कर बल्कि उनके  द्वारा आयोजित शिविरों मे  उन्होंने स्वयं प्रायोगिक रूप से  इन बातो को समझाया बल्कि  कैसे संभव हो सकता हैं इनका निर्माण ...  यह कर के  दिखाया  भी .
बात  उठती हैं की पारद एक दिव्यतम धातु हैं, और उसके  क्षमताओ की सीमा   ही नही पर कहने की अपेक्षा जब विशिष्ट संस्कार करके  बिभिन्न मंत्रात्मक और तंत्रात्मक प्रक्रियाओं  से  गुजरने के बाद ही पारा ..पारद मे  और फिर  विशिष्टं  गुटिकाओ मे बदलने की स्तिथि मे आ पाता  हैं, फिर उसे  वेधन क्षमता युक्त करना पर ... मात्र वेधन क्षमता प्राप्त होने से सभी जन सामान्य का कल्याण संभव नहीं है, इसी लिए सदाशिव ने बद्ध पारद को अनंत क्षमता का आशीर्वचन दिया. इसी लिए यह देवताओं के द्वारा भी पूजित है.
सकलसुरमुनिदरेवैदि सर्वउपास्य तः शंभु बीजं
सभी ऋषिमुनियों तथा सुर अर्थात देवताओ देवगणों के द्वारा पूजित यह शंभुबीज अर्थात शिवबीज पारद है. जो देवताओ के द्वारा उपास्य है उसकी उपासना भला मनुष्य को क्या प्रदान नहीं कर सकती है.

आप मे से  अनेको ने  यह विशिष्ट गुटीकाए/विग्रह /कंकण   प्राप्त किये  हैं और  इनके लाभों को अपने  दिन प्रतिदिन के जीवन मे  देख कर आश्चर्य चकित भी हुये हैं .
जब बात सौंदर्य की हो तो ..उसकी परिभाषा मे  सारा विश्व  ही आ जाता हैं .क्योंकिसत्यम शिवम सुन्दरम  की धारणा  तो भारतीय  मानस मे पहले  से हैं .तो सौंदर्य  तो जीवन का आधार  हैं.और बिना सौंदर्य के  जीवन का कोई अर्थ नही ..और   पारद का संयोग अगर इन सब बातों मे हो जाए  तो फिर क्या कहना .पर पारद का संयोग साधना क्षेत्र के माध्यम से ही  इस  ओर  हो सकता  हैं,  जहाँ बात   सौंदर्य साधनाओ की आये तब   निश्चय  ही  वहां पर  अप्सरा, यक्षिणी,  गन्धर्व कन्याए ,  किन्नरी आदि का विवरण न आये यह कैसे  हो सकता  हैं .क्योंकि अगर सच मे  सौंदर्य को समझना हैं, जानना  हैं, और अनुभव करना  हैं तो इन साधनाओ  को देखना  पड़ेगा ही आत्मसात करना पड़ेगा ही पर यह अत्यन्त सरल  सी लगने वाली साधनाए ..वास्तव मे  इतनी सरल हैं नही .क्योंकि  किन्ही एक की साधना  से  हमें  जो लाभ प्राप्त हो सकते  हैं  शायद  उनके अलग अलग अनेको साधनाए करनी  पड़े.और यह सत्य   भी तो हैं .पर  इन सरल  सी लगने  वाली साधनाओ मे   सफलता बहुत कम  को मिली हैं ,कारण  हैं की इनके गोपनीय सूत्रों का  साधको मे  न  जानकारी होना  और   जिनके पास  जानकारी  भी  तो ..उन्होंने   कृपण भाव  बनाए रखा .
तो साधनाओ के प्रति  क्या रुझान  रख जाए .इसी बात को अपने  मन मे  रख कर एक ... एक दिवसीय अप्सरा यक्षिणी  साधना रहस्य  एवं सूत्र  पर आधारित सेमीनार का आयोजन किया गया .आप सभी  के  द्वारा   जिस  उत्साह पूर्वक माहौल मे  इसका आयोजन हुआ  वह तो एक अलग  ही  तत्व हैं ...आप सभी के लिए   अप्सरा यक्षिणी रहस्य खंड  किताब   और  उस बहु प्रतीक्षित पूर्ण यक्षिणी अप्सरा  सायुज्ज्य षष्ठ मंडल यन्त्र का  प्राप्त  होना  जिस  यन्त्र  पर कोई भी  अप्सरा यक्षिणी की साधना  के साथ साथ सौंदर्य साधना,सम्मोहन साधना,कुबेर साधना,शिव साधना,आकर्षण साधना भी आसानी  से  समपन्न   की जा सकती हैं .और प्रसन्नता  के इन्ही क्षणों  मे  आरिफ भाई जी द्वारा   घोषित किया गया  की ..उनकी तरफ से  एक अद्व्तीय  उपहार   जो इस सेमीनार मे  भाग लेने  वालों  सभी व्यक्तियों के  लिए  निशुक्ल रहा हैं,  उपलब्ध कराया गया .जिसका नाम  पारद सौंदर्य कंकण  हैं .
पर पारद गुटिका/या इस  कंकण  का इतना महत्त्व  हैं ही क्यों ?
रस सिद्धि के अंतर्गत पारद के दुर्लभ विग्रह तथा गुटिकाओ  कंकण  का विवरण  तो  है लेकिन इनकी प्राप्ति सहज नहीं है क्योंकी इनके निर्माण से सबंधित सभी प्रक्रियाए अत्यधिक गुढ़ तथा दुस्कर रही है. सदगुरुदेव ने ऐसी विविध गुटिकाओ के बारे में विविरण प्रदान किया तथा उनके निर्माण पद्धति को जनसामान्य के मध्य रखा तथा वे अपने स्वयं के निदर्शन में ऐसी  गुटिकाओ तथा विग्रहों का निर्माण कराते थे.
मोह्येधः परान बद्धो जिव्येच्छ्मृतः परान मूर्च्छितोबोध्येद्न्यन तं सुतं कोन सेवते
“ जो खुद बद्ध हो कर दूसरो को बाँध देता है अर्थात ठोस विग्रह या गुटिका रूप में जो पारद बद्ध हो जाता है, वह दूसरों को बाँध देता है, अर्थात किसी को भी सम्मोहित करने का, आकर्षित करना का, वशीभूत करने का गुण धारण कर लेता है, किसी भी देवी, देवता या देवगण को प्रत्यक्ष उपस्थित कर सकता है; जो खुद मृत हो कर दूसरों को जीवन देता है, अर्थात भस्म  के रूप में या अपने आप की गति को बद्ध कर स्वयं की उर्जा स्वयं के लिए ना उपयोग कर अपने साधक को प्रदान कर नूतन जीवन प्रदान करता है, जो खुद ही मूर्छित हो कर अर्थात अपनी गति, मति को रोक कर ठोस रूप बन कर विविध गुढ़ ज्ञान का साधक को प्रदान करता है ऐसे दुर्लभ तथा रहस्यमय पारद की प्राप्ति कोन ज्ञानी नहीं करना चाहेगा?”

इस  देव दुर्लभ पारद सौंदर्य कंकण के   कुछ गुण और लाभ आप सभी के लिए ..इस प्रकार से  हैं .
·      उन्होंने  इस  कंकण की विशेषता   बताते  हुये कहा  की   सबसे पहले   तो  यह की तंत्र कौमुदी मे आये   हुये   यक्षिणी सायुज्ज्य  गुटिका   की जगह इस  पारद सौंदर्य   कंकण का  प्रयोग किया  जा सकता  हैं .हालाकि  उस  गुटिका के  अन्य प्रयोग भी हैं .और वह बहुत अधिक मूल्यवान भी हैं .पर उसके  लाभ इस  कंकण से भी  प्राप्त किये जा सकते   हैं .... और जब बात सौंदर्य तथा श्रृंगार की हो तोपारद सिद्ध सौंदर्य कंकण का उल्लेख अनिवार्य ही है. इसी गुटिका को पारद सिद्ध सौंदर्य कंकण, रस सिद्ध सौंदर्य कंकण या रसेंद्र सौंदर्य कंकण कहा गया है, दूसरी गुटिकाओ के मुकाबले भले इस गुटिका में लागत कम लगती है लेकिन इसका महत्त्व और साधनात्मक उपयोगिता को ज़रा सा भी कम आँका नहीं जा सकता.
·       सौंदर्य कंकण पारद गुटिकाओ की श्रेणी में एक अति विशेष गुटिका है जिसका आकार बड़ा नहीं होता है, लेकिन जिसके ऊपर कई प्रकार के प्रयोग सम्प्पन किये जा सकते है. मूलतः यह सौंदर्य तथा आकर्षण गुटिकाओ के अंतर्गत है. सौंदर्य का अर्थ यहाँ पर मात्र व्यक्ति के सौंदर्य से नहीं बल्कि व्यक्ति के पूर्ण जीवन तथा उससे सबंधित सभी पक्षों के सौंदर्य से है तथा आकर्षण का भी अर्थ यहाँ पर देह से निसृत होने वाले आकर्षण मात्र से ना हो कर किसी भी व्यक्ति या देवयोनी के आकर्षण से भी है. अगर व्यक्ति अपने जीवन में ऐसी आकर्षण क्षमता को प्राप्त कर ले की देवता भी उससे आकर्षित होने लगे फिर जीवन में रस उमंग तथा सुख भोग होना तो स्वाभाविक है.
·      साथ ही साथ  यह  अपने आप मे एक पारद शिवलिंग का भी कार्य करेगी .यह सही हैं  की एक पूर्ण  पारद शिवलिंग एक पारद शिवलिंग ही हैं .पर इसका उपयोग भी   उस  तरह से किया जा सकता  हैं .
·      सौंदर्य कंकण के बारे में जैसे  कहा गया है, वह पूर्ण आकर्षण क्षमता से युक्त होता है. अतः किसी भी व्यक्ति विशेष के आकर्षण प्रयोग को इस गुटिका के सामने करने पर उसका विशेष प्रभाव होना स्वाभाविक है. साथ ही साथ किसी भी देवी तथा देवता की साधना में इस गुटिका का होना सौभाग्य सूचक है क्यों की तीव्र आकर्षण क्षमता के माध्यम से यह किसी भी देवी तथा देवता का भी यह गुटिका आकर्षण कर सकती है.
·      या किसी भी प्रकार के काम्य चाहे वह धनप्राप्ति हो या फिर घर में सुख शांति से सबंधित प्रयोग हो, काम्य प्रयोग का अर्थ ही होता है की गुढ़ शक्ति का आकर्षण कर के साधना में अभीष्ट को प्राप्त करना या मनोकामना को पूर्ण करना, अगर ऐसे किसी भी प्रकार के काम्य प्रयोग में इस गुटिका का उपयोग किया जाए तो अर्थात गुटिका को रख कर मंत्र जप किया जाए तो प्रयोग में जिस शक्ति का प्रभाव है, उस पर आकर्षण होता है तथा मंत्र का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है. अभीष्ट की प्राप्ति की संभावना अति तीव्र हो जाती है.
·      इसी प्रकार किसी भी वशीकरण साधना में भी इस गुटिका को अपने सामने स्थापित करने पर साधक को निश्चय ही लाभ प्राप्ति की और छलांग लगाता है.
·      किसी भी प्रकार की सौंदर्य साधनाओ में यह देव योनी के साक्षात्कार में साधक को पूर्ण सहयोग प्रदान करती है. अप्सरा, यक्षिणी, किन्नरी, गन्धर्वकन्या आदि की साधना चाहे वह उनके प्रत्यक्ष साहचर्य के लिए हो या फिर उनके माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से धन, ऐश्वर्य, भौतिक उन्नति को प्राप्त करना, दोनों ही रूप में सौंदर्य कंकण साधना... साध्य अप्सरा यक्षिणी या दूसरी योनी के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से साधक को तीव्रतम रूप से निकट लाने के लिए कार्य करता है.
·      इस गुटिका में प्रतिष्ठा तथा स्थापन संस्कार शिव शक्ति सायुज्ज मंत्रो के माध्यम से किया जाता है. अतः मूल रूप से यह शिव तथा शक्ति का समन्वित स्वरुप हीहै इस लिए इस पर किसी भी प्रकार की कोई भी शिव अर्थात कोई भी देवगण या देवता की साधना और कोई भी शक्ति साधना की जा सकती है. इसके अलावा इस गुटिका का सबंध चक्र देवताओं के साथ है, कुण्डलिनी से सबंधित साधनाओ को इस कंकण के सामने करने से निश्चय ही कई साधक के लाभों में वृद्धि होती ही है.
·      वैभव प्राप्ति से सबंधित विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए जिन साधनाओ का उल्लेख होता है वे कुबेर साधना, इंद्रसाधना, अष्टलक्ष्मी साधना जेसे प्रयोग इस कंकण के सामने करने पर साधक को लाभ तीव्रता से प्राप्त होता है क्यों की कोषाध्यक्ष तथा देवराज स्थापन प्रक्रिया जेसी गुढ़ क्रियाए इस गुटिका पर प्राणप्रतिष्ठा के समय ही संम्पन की जा चुकी होती है.
·      इस गुटिका की सब से बड़ी विशेषता यह भी कही जा सकती है की यह गुटिका साधक को कोई भी देवी देवता से सबंधित कोई भी प्रयोग को करने पर साधक की सफलता की संभावनाओं तीव्रता पूर्वक बढ़ा देता है.
·      लेकिन साथ ही साथ एक विशेष तथ्य यह भी है की साधक इसके माध्यम से जीवन भर लाभ उठा सकता है, इसको प्रवाहित या विसर्जित करने की आवश्यकता नहीं होती. या ऐसा भी नहीं है की किसी एक निश्चित योनी, या देवी देवता की ही साधना इस गुटिका पर हो सकती है.
·      अगर साधक यक्षिणी साधना कर रहा है तब भी इस गुटिका का उपयोग वह कई कई बार अलग अलग यक्षिणी साधनाओ के लिए कर सकता है.
·      सौंदर्य कंकण के बारे में ऊपर जितने भी तथ्य है वह चुने हुवे मुख्य तथ्य ही है, इसके अलावा भी इसके कई कई लाभ साधक को नित्य जीवन में प्राप्त होते रहते है, गृहस्थ सुख, कार्य क्षेत्र में अनुकूलता, व्यापर आदि में उन्नति इत्यादि कई प्रकार से यह गुटिका साधक को लाभ प्रदान करने में समर्थ है.
·      निश्चय ही ऐसे कई रहस्यमय पदार्थ इस श्रृष्टि में है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन को उर्ध्वगामी बनाने के प्रयासों में देव बल तथा देव योग को जोड़ कर उसी कार्य को तीव्रता के साथ सम्प्पन कर लाभ को प्राप्त कर सकता है. पारद से सबंधित सभी गुटिकाओ की अपनी अपनी विशेषता तथा महत्त्व है हालाँकि उनके महत्त्व को शब्द के माध्यम से अभिव्यक्ति कितनी भी की जाए कम ही पड़ती है.

पारद सिद्ध सौंदर्य कंकण के बारे में अप्सरा यक्षिणी साधना पर एक दिवसीय सेमीनार में कुछ चर्चा हुई थी तथा इसके रहस्यमय तथा गुढ़ पक्ष और क्रम के बारे में कुछ तथ्यों के सभी भाई बहिनों  के सामने रखा था.
 और  यह  कंकण केबल मात्र   उस सेमीनार मे भाग लिए  हुये   व्यक्तियों के लिए   ही उपलब्ध रही .बाद मे  अनेको भाई बहिनों ने इस दुर्लभ  सौंदर्य  कंकण को कैसे प्राप्त किया   जा  सकता  हैं उसके लिए लिखा पर हमारे द्वारा  इस विषय मे  मौन ही रखा गया .क्योंकि .यह तो  अति विशिष्ट स्तर की गुटिका/कंकण  के लिए जब तक सदगुरुदेव जी के सन्याशी  शिष्य शिष्याओ  द्वारा  अनुमति  नही मिल जाये की.. सभी को उपलब्ध कराई जा सकती हैं .हम कैसे   अपनी ओर  से   कुछ भी कह सकते  हैं .
और   जिन भी भाई बहिनों ने जो  इस सेमीनार मे भाग नही ले पाए हैं,उन्होंने  इसमें प्रकाशित  होने वाली   किताब “अप्सरा  यक्षिणी  रहस्य  खंड “  को    प्राप्त किया  हैं हम उन्हें भी यह गुटिका   उपलब्ध नही करा पाए हैं .हालाकि उन सभी ने यह लिखा था की   वे किसी भी कीमत पर  इसको प्राप्त करना चाहेंगे .
पर  यहाँ  बात कीमत  की नही बल्कि अनुमति  की हैं .
यहाँ  सौंदर्य कंकण  की कीमत  पारद की अन्य गुटिकाओ की कीमत  की तुलना  मे बहुत  कम हैं .और .यह हमारा सौभाग्य  हैं की जिन्होंने   भी   इसके बारे मे पढ़ा हैं, या सुना हैं. या जो भी इसको प्राप्त करना  चाहते हैं,उनके लिए  यह एक अवसर हैं  की इस देव दुर्लभ  गुटिका   को प्राप्त कर सकते  हैं .
क्योंकि इसके लाभ  से आप अवगत हो ही चुके हैं .यह  सिर्फ इसलिए  उपलब्ध  हो पा रही हैं  की वस्  इसे  सौभाग्य  कहा जा सकता  हैं .
आप मे से  जिन को भी यह  गुटिका प्राप्त करना हो ..जिनको भी अप्सरा  यक्षिणी साधना मे पूर्णता  प्राप्त करना हो  उसमे  यह सहयोगी कारक  कंकण ..और जो भी  ऊपर बताये लाभों को प्राप्त करना   चाहते   हो उन्हें  यह अवसर  का लाभ उठाना  ही चाहिये .
क्योंकि इस  तरह से  संस्कार युक्त कोई भी पारद विग्रह प्राप्त करना  अपने आप मे भगवान शंकर  का मानो घर पर स्थापन और पारद मे  स्वत ही लक्ष्मी तत्व रहता  हैं, उस लक्ष्मी तत्व का आपके घर पर  स्थापन हैं और साधना समय मे  एक इस तरह के  उच्च कोटि का  पारद  कंकण आपके सामने   रहेगा  तो स्वत ही  आपके   अंत: शरीर मे   सूक्ष्म परिवर्तन प्रारंभ होने लगेगे, जो की ...या जिनका   प्रारंभ होना  मानो जीवन  मे साधना सफलता  के लिए  एक द्वार  सा खुल जाना  हैं .
अतः  अब और अधिक क्या लिखा जाए .सिर्फ इतना  ही की ...जो समझदार हैं , ज्ञानवान हैं, प्रज्ञा सम्पन्न हैं, समय का मूल्य जानते  हैं,उनके लिए तो इशारा काफी हैं .शेष जो अतिबुद्धिमान  हैं ..उन्हें क्या  और लिखा जाए ..



Share on Google Plus

About Praween mantra Vigyan

    Blogger Comment
    Facebook Comment