इस वर्ष में द्वितीय चन्द्र ग्रहण 5 जून से 6 जून तक है। यह भारत में भी देखा जाएगा। हालांकि यह छायाप्रद ग्रहण होने के कारण धार्मिक दृष्टिकोण से सूतक नहीं माना जाएगा। मगर तंत्र – मंत्र साधना की दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ग्रहण काल में हिंदुधर्मानुसार पूजन नहीं किया जाता है मगर तांत्रोक्त आध्यात्मिक जगत में यह विशेष महत्व रखता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन जप करने से कई गुना अधिक फल मिलता है और बहुत सी साधना तो सिर्फ ग्रहणकाल में ही सिद्ध की जाती है। चन्द्र ग्रहण 5 जून को रात 11:15 से 6 जून 02:34 मिनट तक रहेगा। इस दौरान साधक “ॐ नमः शिवाय” का जप रुद्राक्ष माला या प्रचण्ड जप बिना माला से भी कर सकते हैं।
ग्रहण काल के दौरान सोना नहीं चाहिए अगर आप बैठने में असमर्थ है तो श्रद्धा भाव से सोते हुए भी जप कर सकते हैं। ग्रहण का इंतजार भगवान भोले नाथ भी करते है ऐसा कहा जाता है। इसलिए सभी प्रकार के घोर या अघोर मंत्र अनुष्ठान के लिए ग्रहण काल सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
चन्द्र ग्रहण से पूर्व सफेद वस्त्रों को धारण कर सकते है तथा चावल का दान कर सकते है। वही ग्रहण के बाद दाल,चावल,तिल कंबल आदि का दान करना चाहिए।
चंद्रग्रहण के दौरान जलाशय ,नदी या किए में शहद की धार माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए लगाई जाए तो अपार सुख- समृद्धि आती है।
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