Apsara ka Swaroop ।अप्सरा का स्वरूप



Apsara ka Swaroop
       आज हम आपको अप्सरा (Apsara) के स्वरूप के बारे में बताने जा रहे हैं। शायद आप इसके स्वरूप के बारे में पहले से जानते भी हो, क्योंकि हमें बचपन से नानी दादी की कहानियां याद होगी या किताबों में परियों की कहानी याद होगी।अप्सरा या परियों का नाम सुनते ही हमारे मन में एक सुंदर छवि बनती है। यह छवि किसी सुंदर स्त्री की होती है जिन्हें हमने इस मृत्युलोक में टीवी या मोबाइल में देखा है। परंतु इससे भी कहीं सुंदर और सुसज्जित देव लोक की अप्सराएं होती है। तभी तो उन को रिझाने के लिए देवता भी उनके आगे पीछे घूमते रहते हैं। देव लोक में निवास करने वाली अप्सरा इंद्र के दरबार में रहती है।
     इनके स्वरूप का वर्णन आज मैं आपके सामने करने जा रहा हूं। जिसे पढ़कर आप स्वयं इन अप्सराओं के स्वरूप की छवि अपने मस्तिष्क में बना सकते हैं। मैं जिसका वर्णन करने जा रहा हूं उसके बारे में पढ़कर आप भी मोहित हो जाएंगे।
    आपके मन में सवाल उठ रहा होगा की आपने इस अप्सरा को कहां देखा? जिसका वर्णन आपने किया। तो इस कथन का मैं पहले ही आपको उत्तर दे देता हूं, यह स्वरूप हमारे साधक परिवार के सदस्यों द्वारा किए गए अनुभव के आधार पर आपके सामने प्रस्तुत है, यह कोई बनी बनाई कहानी नहीं है जो आप पढ़ रहे हैं।
 अप्सराएं हमेशा 16-17 वर्ष की दिखने वाली सुंदर कन्या होती है। यह बहुत ही सुन्दर होने के साथ साथ सीधी भी होती है सदैव साधक को समर्पित रहने वाली कभी भी किसी को धोका नहीं देती है। ये हमेशा चुस्त कपड़े पहनती है इत्र एवं गहने इन्हे अती प्रिय है। इनका शरीर पूरा ऊपर से लेकर नीचे तक कसा हुआ होता है। इसकी ऊंचाई लगभग 5 से 6 फीट,जिसके बदन पर तिल बराबर भी दाग नहीं होता। इनके सिर के लंबे घने बाल जिस पर फूलों का सेहरा या छोटा सा मुकुट लगा रहता है। इसके बाल हमेशा खुले हुए लहराते रहते हैं। इसका चेहरा गोल अंडाकार जिसमें झील सी बड़ी बड़ी आंखें मानो इसमें डूबने का दिल करता है। गुलाब की पंखुड़ियों की तरह छोटे-छोटे प्यारे से होंट (lips) इसके चेहरे की छवि को बढ़ा देते हैं। इस आकर्षित करने वाले सुंदर चेहरे को देखने के बाद मन मोहित हो जाता है। इसकी तीखी नाक जिस पर भंवरे के समान सोने का नथ लगा होता है और उसके कानों में कुंडल लगे होते हैं जो कि उसकी चेहरे की खूबसूरती को चार चांद लगा देते हैं।
      अप्सरा के सीने पर कसा हुआ सिर्फ एक दुपट्टा बांधा हुआ रहता है। गले में सोने एवं मोतियों के हार डालें होते हैं जो उन्हें ओर भी सुंदर बनाते है। उसके पेट की बनावट कसी हुई सुंदर होती है जिसको देखकर मोहित होना कोई बड़ी बात नहीं है। उसकी कमर लगभग 28 से 30 की होती है जिसमें सोने का कसा हुआ कमरबंद होता है। लहंगे के समान वस्त्र धारण की हुई यह सुंदर कन्या किसी का भी दिल जीतने में सक्षम है। इस के हाथों में
     इस कथन को मैं गलत नहीं कहूंगा की अप्सरा ऋषि-मुनियों की तपस्या को भंग करने में पूर्ण रूप से सक्षम होती है। क्योंकि उसके चीर यौवन को देखते हुए किसी का भी मन मोहित होना स्वाभाविक हो जाता है। तभी तो मेनका स्वामिविस्वामित्र की तपस्या भंग करने में सफल हो गई थी।
     उसको देखने के बाद आप यह निर्णय नहीं ले सकते हैं कि वह कौन से देश की हो सकती है। यह कहा जा सकता है कि वह इस संसार की सबसे ज्यादा खूबसूरत स्त्री से भी 10 गुना ज्यादा खूबसूरत कन्या होती है। इस अप्सरा को देखने के बाद शायद कवि के कविता के शब्द कम पड़ जाए, शायर की शायरी कम पड़ जाए, देखते हुए लेखक की लेखनी रुक जाए ऐसे रूप , रंग, और सुडौल शरीर से युक्त पूर्ण आकर्षित करने वाले यौवन से लदी हुई होती है। सोने के कंगन, पैरों में सुंदर और अंगुलियों में सुंदरा आभूषण पहनी होती है।
      जिसका वर्णन करना मुश्किल सा प्रतीत होता है। आप स्वयं इसको देखने के बादआपके सामने  दुनिया की हर स्त्री की खूसूरती फीकी पड़ जाएगी। आपको उपरोक्त सभी जानकारी हमारे अनुभव के आधार पर बताई गई है। इसे बहुत सारे साधक है जिन्होंने इन अप्सराओं को प्रकट किया है। इनको बुलाने की विधि शास्त्रों में वर्णित है। आपको भी प्रयास करना चाहिए।
मुझे इतना ही लिखना था अगर आपको कोई भी सवाल पूछना हों तो हमें whatsapp कर सकते है ।

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