Jhoot pakdne ka Simple Vegyanik Rahashya

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             आज की दुनिया में लगभग सभी झूट बोलते है , ये अलग बात है कोई जरुरत पड़ने पर बोलता है। तो कोई हर वक़्त झूट बोलता है। लेकिन सच हर कोई सुनना पसंद करता है । आज में आपको एक एसा तरीका बता रहा हूँ ,जिससे आप आप अपने परिवार के सदस्यों ,बच्चो ,दोस्तों, या कर्मचारी झूट आसानी से पकड़ सकते है।

आइये मनोवैज्ञानिक तरीका समझने का प्रयास करते है:

हमारे दिमाग के 2 हिस्से होते हैं एक राइट हैंड साइड और एक लेफ्ट हैंड साइड।  दिमाग के दोनों हिस्सों का अलग-अलग काम होता है बात करते हैं पहले हिस्से की जोकि हमारे दाहिनी तरफ है। जब किसी व्यक्ति को काल्पनिक घटनाक्रम को दर्शाना होता है तब उसका दाहिना हिस्सा काम करता है।  अर्थात जब भी हम कोई नई कहानी या ऐसी चीज बोलते हैं जो कि कभी घटित ही ना हुई हो, तब यह दाहिना हिस्सा काम करता है

     ठीक उसी प्रकार दिमाग का दूसरा हिस्सा जोकि हमारे बाएं तरफ स्थित है यह संग्रह मेमोरी होती है। जब भी हम किसी घटना को याद करते हैं, जोकि हमारे जीवन में घटित हुई हो या किसी भी चीज को याद करने की जो प्रोसेस करते हैं तब हमारा बाया हिस्सा काम करता है।

यह तो हो गए हमारे  मनोवैज्ञानिक रहस्य आइए अब जानते हैं झूठ कैसे पकड़े –

हम सब जानते हैं  आंखों को मस्तिष्क का द्वार कहते हैं, उपरोक्त सभी बातों से आप समझ गए होंगे कि हमें झूठ कैसे पकड़ना है?

यदि आपको किसी का  झूठ पकड़ना है तो आपको सामने वाले से सवाल पर सवाल पूछना है। उदाहरण के लिए मैं आज ऑफिस लेट पहुंचा क्योंकि रास्ते में मेरी गाड़ी खराब हो गई थी।

     अब मुझसे ऑफिस में पूछा  जाए कि आज आप लेट क्यों हो गए? जब मैं जवाब दूंगा  की “ आज मेरी गाड़ी खराब हो गई थी” जो कि सत्य घटना है तब मैं बताते वक्त बार-बार बाएं  तरफ अपनी आंखों की पुतलियों को घुमाऊंगा या देखूंगा।

       लेकिन मुझे ऑफिस में झूठ बोलना है  जब मैं एक काल्पनिक घटनाक्रम को सोच लूंगा और सामने वाले को बताऊंगा ।  तब मैं बार-बार दाएं तरफ पुतलियों को घुमाऊंगा या देखूंगा।

    अतः जब हम किसी घटनाक्रम को काल्पनिक रूप देते हैं तब हमारा दिमाग का दायां हिस्सा काम करता है जो कि विजुलाइजेशन  या क्रिएटिविटी कार्य करता है। उस समय हम बार-बार दाहिनी तरफ देखेंगे क्योंकि उस वक्त हम एक नई कहानी सोचकर बना रहे हैं।

       ठीक इसी प्रकार जब हम किसी सत्य घटनाक्रम को सोचकर बताते हैं जब हमारा बायां हिस्सा काम करता है वह घटनाक्रम को याद करने का कार्य करता है अर्थात उस समय हम  रिकॉल कर रहे होते हैं। तब हम बार-बार बाएं तरफ देखेंगे।
आंखों की पुतलियों पर ध्यान रखें। दाएं तरफ देखने पर  काल्पनिक घटना अर्थात झूट तथा बाएं तरफ देखने पर सत्य घटना अर्थात रिकॉल करने पर वह सत्य बोल रहा होता है । 
      यह तरीका लगभग 70 से 80% लोगों पर काम करता है ,और इस प्रकार आप झूठ पकड़ने  मैं माहिर हो जाएंगे। अगर आपको हमारा या लेख अच्छा लगा हो तो कृपया शेयर करें ,लाइक करें और किसी भी प्रकार का सवाल हो तो कृपया हमें कमेंट करके जरूर बताएं।  आसान भाषा में समझने के लिए कृपया हमारे यूट्यूब पर वीडियो देखें। धन्यवाद 
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